ऑनलाइन वनलाइन वाले इस मुहब्बत में शायदहर किसी का यहां यही किस्सा है ! ऑनलाइन वनलाइन वाले इस मुहब्बत में शायदहर किसी का यहां यही किस्सा है !
क्यों अपनी निगाह रोक दिया करता हूँ कभी तुम पर तो कभी अपने आप पर। क्यों अपनी निगाह रोक दिया करता हूँ कभी तुम पर तो कभी अपने आप पर।
तू सपनों की हर एक उड़ानों में होती तू ही वेद, गीता, कुरानों में होती। तुझे स्वर में तू सपनों की हर एक उड़ानों में होती तू ही वेद, गीता, कुरानों में होती। तुझे...
तुम चूम लेना मुझे अपनी आगोश में लेकर तुम चूम लेना मुझे अपनी आगोश में लेकर
पेशानी मेरी चूम कर बचपन अपना याद दिला देना पेशानी मेरी चूम कर बचपन अपना याद दिला देना
तुम्हारी बेरुख़ी तुम्हारी बेरुख़ी